व्रज में गोकुल में जन्म लिया रे, नंदलाला प्यारा आया रे।

 व्रज में गोकुल में जन्म लिया रे, नंदलाला प्यारा आया रे।
मुरली की धुन पे सब नाचे अंबर, राधा के नैनों में उजियारा आया रे।
गोपियाँ गोविंद पे नज़र टिकाएँ, हर दिल में प्रेम का उजियारा।
काँवरियों सी सूरत, नयनों में माया, शरण में जो भी आया प्यारा।
जय हो ब्रज के बलिहारी, खेल करत मुसकराए रे,
बंसी बजती बंसी बजती, पाप भी सब भुलाए रे।
माखन चुराए मोहन ने, सांवरे के चरण चुमे रे,
जग में प्रेम का दिया जला दिया, अंधेरों को भी चूमे रे।
हे दीनबंधु श्री नंदलला, तेरा ही नाम पुकारूँ,
जनम-जनम तक तेरी भक्ति करूँ, जीवन धन-मन समर्पित करूँ।
व्रज में गोकुल में जन्म लिया रे, नंदलाला प्यारा आया रे।
मुरली की धुन पे सब नाचे अंबर, राधा के नैनों में उजियारा आया रे।

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